दूरदर्शन उद्भव और विकास

डॉ संजीव भानावत

विश्व में टेलीविजन की शुरुआत का श्रेय प्रसिद्ध वैज्ञानिक जे एल बेयर्ड को है। सन 1923 में बेयर्ड ने प्रायोगिक तौर पर टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत करती थी। टेलीविजन की नियमित प्रसारण सेवा इंग्लैंड में बीबीसी ने सन 1936 में की थी। फ्रांस में यह प्रसारण सन 1938 में तथा अमेरिका में सन 1941 में प्रारंभ हुआ।
बीसवीं शताब्दी के मध्य तक विश्व टेलीविजन की ताकत से परिचित हो चुका था। भारत में हालांकि टेलीविजन की औपचारिक शुरुआत 15 सितंबर 1959 को हुई किंतु 1955 में दिल्ली में संपन्न औद्योगिक मेले में फिलिप्स कंपनी ने ना सिर्फ टेलीविजन उपकरणों का प्रदर्शन किया बल्कि क्लोज सर्किट टेलीविजन प्रसारण का प्रदर्शन भी किया। वर्ष 1956 में दिल्ली में यूनेस्को की एक बैठक हुई जिसमें यूनेस्को ने $20000 का विशेष अनुदान भारत को दिया ताकि देश में शिक्षा, ग्रामीण विकास तथा सामुदायिक विकास के क्षेत्र में टेलीविजन के उपयोग की संभावनाओं का अध्ययन किया जा सके।
इसी पृष्ठभूमि में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में दूरदर्शन की सेवा का विधिवत उद्घाटन किया। प्रारंभिक सरकारी बयानों और रिपोर्टों को उद्धृत करते हुए मेहरा मसानी ने लिखा है कि दूरदर्शन का विकास इस उद्देश्य को लेकर किया गया था कि वह सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्यक्रमों और उपायों को सहारा देने का उपयुक्त साधन बने। खासतौर से यह बात कही गई कि टेलीविजन का इस्तेमाल अज्ञानता और निरक्षरता से लड़ने के लिए एक हथियार के रूप में किया जाएगा। वह लोगों में समाजशास्त्रीय समस्याओं की चेतना जगाएगा और उन्हें राष्ट्रीय लक्ष्यों के प्रति जागरूक बनाएगा। एक नई समाज व्यवस्था की स्थापना के लिए भारत के परिजनों में सहभागिता की भावना पैदा करेगा वह नागरिक चेतना जगाने तथा विधि व्यवस्था सार्वजनिक नैतिकता आदि के प्रति सम्मान पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और मनोरंजन के क्षेत्र में वह जन रुचि  को उचित सौंदर्य  स्तरों की ओर मोड़ेगा। 
दूरदर्शन वस्तुतः प्रसार भारती की इकाई के रूप में भारतीय सार्वजनिक  लोक प्रसारक के रूप में जाना जाता है।
 दूरदर्शन पर प्रारंभिक कार्यक्रम 1 घंटे के होते थे जो सप्ताह में दो बार मंगलवार और शुक्रवार को प्रसारित किए जाते थे। इनमें से 40 मिनट के कार्यक्रम सामुदायिक केंद्रों के लिए समाज शिक्षा के कार्यक्रम होते थे। सन 1960 में गणतंत्र दिवस समारोह को दूरदर्शन पर सीधे प्रसारित करने का भी सफल प्रयास किया गया था।
अमेरिका के फोर्ड फाउंडेशन तथा दिल्ली के शिक्षा निदेशालय के सहयोग से अक्टूबर 1961 में विद्यालयों के लिए शैक्षणिक प्रसारण प्रारंभ किया गया। हिंदी अंग्रेजी सहित विविध विषयों के अध्यायों का प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाने लगा। ग्रामीण दर्शकों के लिए कृषि दर्शन का प्रारंभ 26 जनवरी 1967 को किया। 20 मिनट का यह कार्यक्रम प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को प्रसारित किया जाता था। जुलाई 1970 से इस कार्यक्रम को सप्ताह में 3 दिन दिखाया जाने लगा। अब इसकी अवधि 10 मिनट बढ़ाकर आधे घंटे कर दी गई तथा सोमवार को भी इसका प्रसारण किया जाने लगा।
सन 1970 में दूरदर्शन पर प्रसारण की अवधि 3 घंटे तक कर दी गई। इस अवधि  में अनेक नए कार्यक्रम भी प्रसारित किए गए। इसी वर्ष खेलकूद की समीक्षा पर विशेष कार्यक्रम प्रसारित किया जाने लगा। दिसंबर 1971 में भारत पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध के कवरेज में दूरदर्शन की विशेष भूमिका रही। सीमांत क्षेत्रों में जाकर दूरदर्शन ने युद्ध संबंधी घटनाओं को प्रभावी ढंग से प्रसारित किया। इसी वर्ष हुए मध्यावधि चुनाव के दौरान भी दूरदर्शन पर प्रसारित चुनाव समाचार तथा समीक्षाएं पर्याप्त लोकप्रिय हुई। 
मुंबई और पुणे में दूरदर्शन केंद्र का प्रारंभ 2 अक्टूबर 1972 तथा 2 फरवरी 1973 को हुआ। श्रीनगर में दूरदर्शन की प्रायोगिक सेवा 26 जनवरी 1973 को शुरू हुई। 29 सितंबर 1973 को अमृतसर से दूरदर्शन के कार्यक्रमों का प्रसारण होने लगा। कोलकाता से यह सेवा 8 अगस्त 1975 को प्रारंभ हुई। मद्रास में दूरदर्शन केंद्र का 15 अगस्त 1975 को उद्घाटन हुआ। इस प्रकार धीरे-धीरे सारे देश में दूरदर्शन का जाल फैलने लगा और दिसंबर 1996 तक इसके 834 प्रसारण केंद्र तथा 41 निर्माण केंद्र विभिन्न स्थानों पर शुरू हो गए। 
1 अप्रैल 1976 को आकाशवाणी और दूरदर्शन को पृथक कर दिया गया। 1 अगस्त 1975 को 1 वर्ष के लिए उपग्रह दूरदर्शन परियोजना शुरू की गई। यह परियोजना साइट ( सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट) के नाम से जानी जाती है। इस परियोजना में राजस्थान मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, उड़ीसा तथा आंध्र प्रदेश के लगभग 24 को गांव में प्रतिदिन विद्यालय कृषि तथा समाज शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे। इस कार्य के लिए अमेरिकी उपग्रह ए टी एस 6 भारत को उपलब्ध कराया गया था। इस उपग्रह के माध्यम से 15 अगस्त 1975 को लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा किए गए ध्वजारोहण समारोह स्वाधीनता की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संदेश  विशेष कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर सीधे प्रसारित किए गए। 
1 जनवरी 1976 से दूरदर्शन पर व्यापारिक सेवा शुरू कर दी गई। अब दूरदर्शन पर प्रायोजित कार्यक्रमों के विज्ञापन प्रसारित किए जाने लगे। 
आकाशवाणी की भांति दूरदर्शन पर भी आम चुनाव में सभी मान्यता प्राप्त दलों को अपनी बात कहने का अवसर दिया जाता है। दूरदर्शन श्रेष्ठ टीवी डॉक्यूमेंट्री, संगीत, नाटक, नृत्य, शैक्षिक कार्यक्रम, ग्रामीण तथा बाल कार्यक्रमों को प्रतिवर्ष पुरस्कृत करता है। इसी प्रकार  सन 1981- 82 से दूरदर्शन ने टीवी फिल्मों के निर्माण की ओर भी कदम बढ़ाए हैं। फिल्म रंगोली तथा चित्रहार जैसे कार्यक्रम दूरदर्शन पर पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं। 15 अगस्त 1982 को दूरदर्शन पर 90 मिनट का राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इसी वर्ष नवे एशियाई खेलों के प्रसारण के साथ दूरदर्शन पर रंगीन प्रसारण भी प्रारंभ हुआ। यह कार्यक्रम कालांतर में रात्रि 8:30 बजे से देर रात तक प्रसारित होता रहा जिसमें समाचारों व धारावाहिकों के अतिरिक्त सामयिक विषयों से जुड़े कार्यक्रम संगीत के विविध कार्यक्रम प्रश्नोत्तरी कवि सम्मेलन मुशायरा आदि प्रमुख थे। 15 अगस्त 1982 के ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का भाषण 21 टीवी केंद्रों से एक साथ प्रसारित किया गया। सन 1983 में प्रायोजित कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। संगीत नृत्य का राष्ट्रीय कार्यक्रम 25 अप्रैल 1986 से शुरू किया गया। 
7 जुलाई 1984 का दिन दूरदर्शन के इतिहास में विशेष महत्व रखता है। इसी दिन दूरदर्शन के पहले धारावाहिक हम लोग का प्रसारण प्रारंभ हुआ जिसे प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ मनोहर श्याम जोशी ने लिखा था तथा पी कुमार वासुदेव के निर्देशन में तैयार हुआ था। इस धारावाहिक के 163 एपिसोड प्रसारित किए गए। इस धारावाहिक के छुटकी और लल्लू जैसे पात्रों ने जन-जन में अपार लोकप्रियता अर्जित की। 
15 अगस्त 1984 को यूजीसी के सहयोग से विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए 1 घंटे का शैक्षणिक प्रसारण प्रारंभ किया गया। 17 सितंबर 1984 को दिल्ली केंद्र से दूसरे चैनल का प्रसारण प्रारंभ हुआ। इस समय तक टेलीविजन ने जनता में अपार लोकप्रियता अर्जित कर ली थी। सप्ताह में दो बार चित्रहार, रविवार की फिल्म, हम लोग, खानदान, यह जो है ज़िंदगी, बुनियाद, रजनी, भारत एक खोज, विक्रम और बेताल, मुंगेरीलाल के हसीन सपने, रामायण और महाभारत आदि धारावाहिकों ने टेलीविजन को मध्यमवर्ग की जरूरत बना दिया। धीरे-धीरे जन  शिक्षण का लक्ष्य पीछे छूटता गया तथा मनोरंजन प्रमुख हो गया। क्रिकेट मैच का सीधा प्रसारण ने टीवी के प्रति जनता की भूख को और अधिक बढ़ा दिया। 
1 अप्रैल 1985 से लाइसेंस शुल्क समाप्त कर दिया गया। 1 मई 1985 को दूरदर्शन के मुंबई केंद्र से भी दूसरे चैनल से प्रसारण की शुरुआत की गई। इसी वर्ष 15 अगस्त से दोपहर में 2 घंटे का प्रसारण शुरू किया गया। सातवीं पंचवर्षीय योजना में भारत में दूरदर्शन के विकास के लिए 700 करोड़ों रुपए की राशि का प्रावधान किया गया। इस योजना अवधि में दूरदर्शन की राष्ट्रीय प्रादेशिक तथा स्थानीय सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया। इस आधार पर 9 अगस्त 1986 से तीन स्तरीय प्रसारण सेवा की शुरुआत की गई। इस दिशा में पहला प्रयास मुंबई से मराठी कार्यक्रमों के प्रसारण के साथ किया गया। सन 1986 में दूरदर्शन ने अनेक ऐतिहासिक क्षणों का सीधा प्रसारण किया। इसमें सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव मिखाईल गोर्बाचोव की भारत यात्रा के दौरान संसद के संयुक्त अधिवेशन में उनका संबोधन दूसरे गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन के घटना बेंगलुरु का सार्क सम्मेलन आदि प्रमुख है। 
23 फरवरी 1987 को दूरदर्शन से प्रातः कालीन प्रसारण शुरू हुआ। इसमें मनोरंजक कार्यक्रमों के साथ-साथ भेंटवार्ता, लघु वृत्त चित्र, स्वास्थ्य चर्चा, संगीत का प्रसारण किया जाता था। अप्रैल 1987 में सप्ताह में 2 बार लेट नाइट फिल्म का प्रसारण प्रारंभ हुआ। 15 नवंबर 1987 से कान के बाहरी व्यक्तियों के लिए एक विशेष समाचार बुलेटिन का प्रसारण प्रति रविवार 11:15 पर किया जाने लगा। 
सन 1988 में दूरदर्शन ने अखिल भारतीय स्तर पर 54 संवाददाताओं का चयन किया जिन्हें पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान में प्रशिक्षण दिया गया। 20 सितंबर 1989 को राष्ट्रपति द्वारा संसद के संयुक्त अधिवेशन के संबोधन को पहली बार दूरदर्शन पर सीधे प्रसारित किया गया। 
उच्च गुणवत्ता पूर्ण एवं तकनीकी दृष्टि से समृद्ध कार्यक्रम निर्माण के लिए 6 फरवरी 1989 को सेंट्रल प्रोडक्शन सेंटर की स्थापना की गई। 2 दिसंबर 1991 के संसद के प्रश्नकाल की रिकॉर्डिंग प्रारंभ की गई। संपादन के बाद इसे अगले दिन अर्थात 3 दिसंबर 1991 को प्रसारित किया गया। 20 मई 1991 से इग्नू के पाठ्यक्रम पर आधारित कार्यक्रम प्रसारित होने शुरू हुए। सन 1992 में लोकसभा में प्रस्तुत रेल बजट को भी सजीव प्रसारित किया गया। 
26 जनवरी 1993 को दिल्ली से दूसरे चैनल पर मेट्रो आवर कार्यक्रम शुरू किया गया। प्रारंभ में केवल चार महानगरों तक सीमित था। बाद में इसे उपग्रह चैनल बना दिया गया। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की वर्ष 1993 -94 की रिपोर्ट के अनुसार 15 अगस्त 1993 से 5 चैनल चालू होना इस वर्ष की प्रमुख उपलब्धि रही। वर्ष 1994-95 की प्रमुख उपलब्धि 13 नए चैनलों की शुरुआत रही। इस वर्ष मनोरंजन चैनल के अलावा जो अन्य चैनल प्रारंभ किए गए वे हैं - संगीत, खेल,  व्यापाज्ञान तथार और सामाजिक ज्ञान। 2 अक्टूबर 1993 से केरल उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश दिखा राजस्थान में राज्य स्तर पर क्षेत्रीय सेवाओं के कार्यक्रम प्रसारित किए जाने लगे। 
1 अक्टूबर 1993 को उपग्रह क्षेत्रीय भाषा सेवाएं प्रायोगिक आधार पर शुरू की गई। प्रारंभ में यह सेवा असमिया, बंगला, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम,  मराठी, उड़िया, तमिल और तेलुगू में थी। 1994 से 3 उपग्रह चैनल पर सवेरे 7:00 बजे से रात 11:00 बजे तक विभिन्न भाषाओं के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे। दोपहर 12:00 बजे से 12:30 बजे तक और फिर दोपहर बाद 3:30 बजे से 5:00 बजे तक दो बार विराम रहता था।
दिसंबर 1994 से संसद के प्रश्न काल का सीधा प्रसारण प्रारंभ किया गया। इसी वर्ष 14 नवंबर को दूरदर्शन के डीडी 3 चैनल की शुरुआत हुई। 14 मार्च 1995 से दूरदर्शन के अंतरराष्ट्रीय चैनल डीडी इंटरनेशनल प्रारंभ किया गया। 15 सितंबर 1997 को प्रसार भारती अधिनियम लागू किया गया। 26 जनवरी 2000 से ज्ञान दर्शन चैनल शुरू किया गया। 2 नवंबर 2000 को भारत में डीटीएच सेवा प्रारंभ करने की अनुमति दी गई तथा 1 दिसंबर 2000 को केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम लागू किया गया। वर्ष 2607 में उर्दू चैनल शुरू किया गया। दूरदर्शन ने दिसंबर 2004 में डीटीएच सेवा डीडी डायरेक्ट प्लस प्रारंभ की। 
 शताब्दी के अंत के वर्षो से दूरदर्शन के स्वरूप में व्यापक परिवर्तन हुआ। उसमें फिल्म आधारित मनोरंजन का लोकप्रिय दौर शुरू हुआ। प्रायोजित कार्यक्रमों से दूरदर्शन पूरी तरह घिर गया। कक्काजी कहिन जैसे राजनीतिक धारावाहिक तथा परख वर्ल्ड दिस वीक अंतरराष्ट्रीय समाचारों पर आधारित कार्यक्रमों ने दूरदर्शन के कार्यक्रमों को लोकप्रिय बनाया। स्वाभिमान जैसे धारावाहिकों से धारावाहिकों के स्वरूप और कथा में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। साहित्यिक कृतियों पर आधारित धारावाहिकों ने भी जनमानस में अच्छी पैठ जमाई, जिनमें कब तक पुकारूं, मैला आंचल, राग दरबारी, श्रीकांत, आम्रपाली, चरित्रहीन, तमस आदि प्रमुख हैं। असगर वजाहत और प्रभात रंजन का मानना है कि सन 1990 के बाद के धारावाहिकों में यथार्थ गायब हो गया उपभोक्ता क्रांति के बाद पैदा हुए सपनों ने यथार्थ की जगह ले ली थी। 
दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल DD1 चैनल पर 24 घंटे नियमित प्रसारण होता है। दूरदर्शन ने लोक प्रसारण माध्यम के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। DD1 के कार्यक्रम मुख्य रूप से सामाजिक आर्थिक परिवर्तन की प्रेरक होने के साथ-साथ राष्ट्रीय अखंडता एवं सांप्रदायिक सौहार्द को भी प्रोत्साहित करते हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य लक्ष्य ज्ञान एवं शिक्षा का प्रसार है तथा इन माध्यमों से समाज में वैज्ञानिक दृष्टि का विकास करने का प्रयत्न किया जाता है। शिक्षा स्वास्थ्य सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जागरूकता पर्यावरण संरक्षण कला एवं सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण आज पर केंद्रित कार्यक्रमों के कारण DD1 ने देश के विभिन्न रूपों के दर्शकों के बीच अपनी अच्छी पहचान बनाई है।
डीडी न्यूज़ भी 24 घंटे का चैनल है जिसमें सनसनी से दूर रहते हुए अन्य टीवी चैनलों के साथ प्रतिस्पर्धा के आधार पर समाचार दिए जाते हैं। संतुलित तथा वस्तुनिष्ठ कवरेज चैनल की विशेषता है। बिना केबल के भी यह चैनल घरों तक पहुंच गया है। वर्तमान में यह चैनल 24 घंटे का जीवन प्रसारण कर रहा है। इसके अतिरिक्त और दुवा संस्कृत आपके भी समाचार गोल्डन प्रसारित किए जा रहे हैं।
डीडी स्पोर्ट्स खेल चैनल है। 26 जनवरी 2000 को प्रारंभ व डीडी भारती मुख्य रूप से संगीत नृत्य संस्कृति स्वास्थ्य तथा भारतीय जीवन शैली पर आधारित कार्यक्रम प्रसारित करता है। इस चैनल पर युवाओं तथा बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक एवं लोकप्रिय कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। 15 अगस्त 2006 से डीडी उर्दू सेवा प्रारंभ की गई है। डीडी इंडिया का प्रसारण 14 मार्च 1995 को शुरू किया गया। प्रारंभ में इसका नाम डीडी वर्ल्ड था जो सन 2002 में बदलकर डीडी इंडिया कर दिया गया। भारत की सामाजिक राजनीतिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक परिदृश्य की जानकारी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को देने के लिए इस चैनल ने पहल की है। 
मार्च 2001 में दूरदर्शन ने विकास संचार डिवीजन की स्थापना की। सन 2002 में प्रारंभ विश्वास संचार अभियान पर केंद्रित स्वास्थ्य पत्रिका कल्याणी ने दर्शकों में विशेष पहचान बनाई। इस कार्यक्रम को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। 
17 दिसंबर 2017 को दूरदर्शन ने अपनी पंच लाइन देश का अपना चैनल कर दी। 26 मई 2015 को डीडी किसान चैनल के नाम से किसानों को समर्पित एक नया चैनल शुरू किया गया। 
नई शताब्दी सूचना क्रांति का दौर है। दूरदर्शन के इतिहास में इस शताब्दी का प्रथम दशक भी बहुत महत्वपूर्ण है। दूरदर्शन 67 केंद्रों तथा 1416 ट्रांसमीटर का विशाल नेटवर्क है। टेलीविजन की पहुंच अभी लगभग 91% जनसंख्या तथा 79 प्रतिशत क्षेत्र तक है किंतु डीटीएच सिग्नल क्षेत्र लगभग सभी लिखा उपलब्ध है। 3 नवंबर 2003 में 24 घंटे का न्यूज़ चैनल डीडी न्यूज़ प्रारंभ किया गया।

प्रसार भारती -महत्वपूर्ण पड़ाव

अगस्त 1977: आकाशवाणी और दूरदर्शन को निगम बनाने के लिए उसके प्रारूप और ढांचा तय करने के लिए सरकार ने बिजी वर्गिस समिति गठित की।
फरवरी 1978: वर्गिस समिति आकाश भारती (राष्ट्रीय प्रसारण ट्रस्ट) रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की।
मई 1979: संसद में प्रसार भारती अधिनियम पारित।
अगस्त 1990: लोकसभा और राज्यसभा में संशोधित प्रसार भारतीय अधिनियम पारित। 10 दिसंबर को राष्ट्रपति की अनुमति के बाद भी सरकारी गजट में अनुसूचित नहीं।
दिसंबर 1995: प्रसार भारती कानून 1990 की समीक्षा के लिए सरकार ने सेन गुप्त समिति गठित की।
अक्टूबर 1997: विधेयक के माध्यम से प्रसार भारती कानून में बदलाव।
25 नवंबर 1997: प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन का भार संभाला। श्री निखिल कुमार चक्रवर्ती इसके अध्यक्ष तथा श्री एसएस गिल इसके कार्यकारी अधिकारी बने।
6 मई 1998: 1997 में प्रसार भारती विधायक समाप्त हो गया लेकिन बोर्ड कार्यरत रहा। 
27 जून 1998: बोर्ड के अध्यक्ष का निधन।
31 जुलाई 1998: लोकसभा में प्रसार भारतीय संशोधन अधिनियम 1998 पारित हुआ जिसमें 1990 के कानून के सभी प्रावधानों रहे। 
29 जुलाई 1998: लोकसभा में पारित अधिनियम के लिए विधेयक पेश किया गया। मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब पद के अयोग्य हो गए और डॉक्टर ओपी केजरीवाल निदेशक ऑल इंडिया रेडियो ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद भी संभाला
4 अप्रैल 1999: 29 अगस्त 1998 के विधेयक की अवधि समाप्त हो गई लेकिन बोर्ड कार्यरत रहा।
11 जून 1999: श्री राजीव रतन शाह प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद पर नियुक्त हुए।
22 नवंबर 1999: बोर्ड के 2 सदस्य श्री राजेश यादव और श्रीमती रोमिला थापर सरकार के निर्देशानुसार 2 साल की सदस्यता के पश्चात सेवन एडमिट हो गए। 
22 नवंबर 1999: प्रसार भारती कारपोरेशन की व्यापक समीक्षा के लिए 30 सदस्य समिति गठित की गई-श्री एन आर नारायण मूर्ति किरण कार्निक तथा सोनू सेन अध्यक्ष संयुक्त सचिव प्रसारण आरसी मिश्रा सदस्य सचिव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव रतन शाह इस समिति की बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित थे।
20 मई 2001: समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।
फरवरी 2001:          श्री अनिल बैजल मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त हुए।
9 अक्टूबर 2001:    प्रोफेसर यू आर राव बोर्ड के अध्यक्ष और प्रोफेसर बीएन मिश्रा श्री एमबी कामत और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवा मुक्त) एम ए जकी को बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया।
14 मार्च 2002:       श्री के एस शर्मा नहीं मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार संभाला।
14 अगस्त 2004:   राज सभा तथा लोकसभा के लिए 2 चैनलों का शुभारंभ।
26 मई 2015:        किसान चैनल का शुभारंभ

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