एमएचआरडी और यूजीसी ने जारी किए पीएचडीके लिए दिशा-निर्देश, यह हुआ बदलाव

TCN डेस्क। 
 


 शोधार्थियों की अब पीएचडी के लिए पंजीयन के दौरान ही बताना होगा कि उनके शोध से समाज को क्या फायदा होगा। यानी समाज के लिए वह कितना उपयोगी है। वाइवा से पहले शोधग्रंथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के पास भेजना होगा। वहां मूल्यांकन के बाद ही डिग्री दी जाएगी। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने दिशानिर्देश जारी किया है।
वर्ष 2020 से पीएचडी के लिए पंजीकृत शोधार्थी इस नियम के तहत आएंगे। अभी तक पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा का प्रावधान रहा है। इसमें चयनित छात्रों को डिपार्टमेंट रिसर्च कमेटी के पास जाना होता है। वहां गाइड व विषय तय होने सँग सिनोप्सिस हो जाता है। इसमें समाजोपयोगी चीजों के बारे में नहीं पूछा जाता। इसके बाद शोधार्थी कोर्स वर्क की तैयारी में जुट जाता है। यह भी देखने में आता है कि गाइड अपना सीआर बेहतर बनाने के लिए शोधार्थियों को अपने पास रखता है डिग्री पूरी होते ही अपने सीआर में एक और छात्र का पीएचडी कराना लिखकर संतुष्ट हो जाता है। 
शोधार्थी भी किसी तरह पीएचडी पूरा कर लेना चाहते हैं। पीएचडी पूरी होते ही काम रुक जाता है। विवि और शोध केंद्र की प्रयोगशाला में कई प्रयोग होते हैं। इसमें कई चीजें समाज के लिए उपयोगी होती है, लेकिन व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव में वह आमलोगों तक नहीं पहुंच पाता। शोध सिर्फ शोधग्रंथ तक हो सीमित होकर रह जाता है। इसलिए नियम बदला गया है। आम तौर पर शोधार्थी का ध्यान शोध ग्रंथ पूरा कर अवार्ड के लिए जमा करने पर ही रहता है। हालांकि सरकार व यूजीसी के नियमों में बदलाव के कारण अब ऐसा नहीं हो सकेगा।

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