UGC : प्रोफेसर बनने के लिए नहीं पड़ेगी PhD, NET की जरूरत


TCN डेस्क। देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का ख्वाब देख रहे युवाओं के लिए राहत भरी खबर है. विश्वविद्यालयों और डिग्री कालेजों में "प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस" के पद पर नियुक्ति के लिए PhD या NET की अनिवार्यता खत्म हो सकती है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) ने पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला किया है. यूजीसी के इस फैसले से संबंधित विषय के विशेषज्ञ यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकेंगे. स्टूडेंट्स को भी इसका फायदा मिलेगा.

आप को बता दें यूजीसी कई नए और विशेष पदों को सृजित करने की भी योजना बना रहा है. इन पदों पर नियुक्ति के लिए पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी. एक रिपोर्ट के मुताबिक ये पद "प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस" व "एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस" हो सकते हैं. इस संबंध में यूजीसी चेयरमैन एम जगदेश कुमार का कहना है कि, 'कई विशेषज्ञ हैं जो पढ़ाना चाहते हैं. कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसने बड़ी परियोजनाओं को लागू किया हो और जिसके पास जमीनी स्तर का काम करने का अनुभव हो, ये कोई कोई महान नर्तक या संगीतकार भी हो सकता है.

हालांकि यूजीसी सूत्रों ने ये भी कहा कि फिलहाल किसी ठोस नतीजे तक पहुंचने की प्रक्रिया में कुछ महीनों का वक्त लग सकता है, यूजीसी इसको examine कर रही है. नतीजे तक पहुंचने की एक पूरी प्रक्रिया होती है जिसके तहत एक समिति बनाई जाएगी.

इसके बाद समिति तमाम पहलू पर चर्चा करने के बाद इस प्रस्ताव की सिफारिश करेगी. फिर, सिफारिश को यूजीसी की बैठक में रखा जाएगा. इस मसले पर फीडबैक के लिए इसको यूजीसी की वेबसाइट पर डाला जाएगा और जब UGC की तरफ मंजूरी दे दी जाएगी तब आखिर में इसकी मंजूरी के लिए इसे Education Ministry के पास भेजा जाएगा. लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ महीने का वक्त लगना तय माना जा रहा है.

30 मार्च को राज्य सभा में सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि, UGC प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पदों के सृजन की संभावनाएं तलाश रही है. साथ ही, विश्वविद्यालयों के स्वीकृत पदों को प्रभावित किए बिना इस पद के सृजन की सम्भावना का पता लगाया जा रहा है. इस पहल से उच्च शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच के अंतराल को दूर करने में मदद मिलेगी. साथ ही पाठ्यक्रम समृद्ध होगा और छात्रों को रोजगार में मदद मिलेगी. इस तरह के प्रावधान, आईआईटी में पहले से मौजूद हैं.

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1 टिप्पणियाँ

  1. Think how Private institutions and Universities can be misused. Now also, leading private institutions and the university have not followed the criteria of UGC and HRD in admission, recruitment, selection, Promotion, and qualification.

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