भारतीय संस्कृति को समझने के लिए -हिंदी साहित्य को पढ़ लेना ही काफी है प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह

TCN डेस्क। 


बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के हिंदी विभाग में, लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएच.डी. का बाईवा लेने आए प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने हिंदी साहित्य की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि केवल हिंदी साहित्य के अध्ययन से ही भारतीय संस्कृति का मूल समझा जा सकता है। साथ ही कहा कि हिंदी साहित्य ने एक ओर संस्कृत, प्राकृत, पाली अपभ्रंश साहित्य को, साहित्य का उपजीव्य बनाया है तो वहीं दूसरी तरफ आधुनिक विमर्शों को साहित्य में स्थान दिया है। जिससे हिंदी साहित्य की विशालता एवं सर्व ग्राहिता स्पष्ट होती है। उन्होंने भर्तृहरि के नीति शतक,वैराग्य शतक, श्रृंगार शतक की तत्त्वगत व्याख्या करके महत्व पर प्रकाश डाला है।
साथ ही कहा कि हिंदी के माध्यम से  विश्व में भारतीय संस्कृति का जोर शोर से प्रचार प्रसार हो रहा है।
इस अवसर पर प्रो.मुन्ना तिवारी अध्यक्ष कला संकाय एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग, प्रो. पुनीत बिसारिया, डॉ अचला पाण्डेय डॉ. नवेद्र उपाध्याय, डॉ. संजय सक्सेना, डॉ श्रीहरि त्रिपाठी, डॉ नवीन चंद पटेल एवं शोध छात्र जितेंद्र उपाध्याय, विनोद यादव, दिनेश कुमार, यतीद्र शुक्ला, विकास कुमार,विवेक कुमार, रंजीत कुमार,रामकुमार एवं विभाग के कर्मचारी गण मौजूद रहे।
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