नारी सनातन संस्कृति एवं परंपराओं की संवाहक : प्रो. जयंत सोनवलकर

टीसीएन डेस्क भोपाल। मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में महिला दिवस के अवसर पर प्राध्यापकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया।कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जयंत सोनवलकर एवं कुलसचिव डॉ. एच. एस. त्रिपाठी द्वारा मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया गया।


विश्वविद्यालय के सभागृह में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. जयंत सोनवलकर ने कहा कि नारी सृजनात्मक शक्ति का प्रतीक होने के साथ ही सनातन संस्कृति एवं परंपराओं की संवाहक होती हैं। आदिकाल से भारतीय संस्कृति में उनको काफी ऊंचा स्थान हासिल है। देवी अहिल्या बाई जैसी अनेक नारियों ने अपनी क्षमता के बूते समय-समय पर इसको प्रमाणित करने का कार्य किया है। 

मुख्य वक्ता श्रीमती चित्रा सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को उत्सव की तरह मनाना चाहिए। स्त्री को सबका सम्मान रखते हुए अपने अतित्व को बनाये रखना है। भारत में स्त्री पुरुष असमानता नहीं है, यहां प्राचीन काल से ही स्त्रियों के सम्मान और गरिमा को प्राथमिकता दी जाती रही है।

मुख्य अतिथि श्री ज्ञानवर्धन पाठक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन से उपजा है। इसका बीजारोपण साल 1908 में हुआ था जब 15 हज़ार औरतों ने न्यूयॉर्क शहर में मार्च निकालकर आंदोलन किया था। 1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता उस वक्त दी गई थी जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया। 

कुलसचिव श्री हरिहर शरण त्रिपाठी ने कहा कि सामाजि‍क प्रगति‍ के सभी क्षेत्रों में महि‍लाओं के बढ़ते हुए योगदान की सराहना की लेकि‍न घटते हुए बाल लिंग अनुपात पर चिंता जाहि‍र की, जो फि‍लहाल 914 है।

इस दौरान निदेशक डॉ. एल पी झरिया, डॉ. विभा मिश्रा, डॉ. नीलम वशनिक, डॉ. ए.के. त्रिपाठी, उप कुलसचिव श्री अरुण चौहान, सहायक कुलसचिव श्री अभय कुमार गुप्ता,अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण मौजूद रहे।

Post a Comment

और नया पुराने

और खबरें पढ़ें...