राष्ट्र निर्माण में मजदूरों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

TCN डेस्क। 

राष्ट्रीय सेवा योजना ने मजदूर दिवस पर आयोजित किया संगोष्ठी



झाँसी। राष्ट्रीय सेवा योजना बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी ने आज मजदूर दिवस के अवसर पर राष्ट्र निर्माण में मजदूरों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में मजदूरों का बहुत अधिक योगदान है। अपने पसीने को राष्ट्र के निर्माण में मजदूर हमेशा ही बहाते रहे हैं। 
प्रो. तिवारी ने कहा कि मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है। श्रमिकों के सम्मान के साथ ही मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से भी इस दिन को मनाते हैं, ताकि मजदूरों की स्थिति समाज में मजबूत हो सके। 
राष्ट्रीय सेवा योजना को वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि एनएसएस बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी मजदूरों के अधिकार और कर्तव्य के प्रति स्वयंसेवकों को जागरूक करने के लिए हर साल मजदूर दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है। इस वर्ष राष्ट्रीय सेवा योजना ने राष्ट्र निर्माण में मजदूरों की भूमिका विषय पर चर्चा एवं संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस गोष्ठी में विद्यार्थियों ने भी अपना मत व्यक्त किया और मजदूरों के अधिकारों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मजदूर कभी मजबूर नहीं होता है। वह अपनी मेहनत के बल पर न केवल अपने परिवार का भरण पोषण करता है बल्कि समाज और देश को भी आगे ले जाने का कार्य करता है। 
डॉ. पांडेय ने बताया कि किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता।
नोडल अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना जनपद झांसी डॉ उमेश कुमार ने बताया कि भारत में एक मई का दिवस सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। इसकी शुरुआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रामाणित हो चुका है।
कार्यक्रम का संचालन पूर्व स्वयंसेवक एवं ललित कला संस्थान के शिक्षक गजेंद्र सिंह ने किया। इस अवसर पर अनुपम, राघव, शिवा, जयश्री, लोकेश, दिव्या एवं अन्य उपस्थित रहे।

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