कलात्मक गतिविधियों से प्रतिभा में होता है निखार: सहायक कुलसचिव सुनील सेन

TCN डेस्क। 

ललित कला की दीवारों को रंगों को सजा रहे हैं विद्यार्थी
डॉ. श्वेता पाण्डेय और गजेन्द्र सिंह के निर्देशन में ललित कला संस्थान में चल रही है “ऋतुरंग” भित्तिचित्रण कार्यशाला



झाँसी. बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के ललित कला संस्थान की दीवारें बोलने लगी है. कला की अद्भूत कृतियों से जहाँ विभाग में संचालित पाठ्यक्रमों को रंगों के माध्यम से उकेरा जा रहा है वहीँ विभाग में पहुँचते ही सहज ही ज्ञात हो जाता है कि यह ललित कला संस्थान है. 
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के ललित कला संस्थान में इन दिनों ऋतुरंग भित्तिचित्रण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यशाला के अंतर्गत संस्थान के विद्यार्थी पाठ्यक्रम में शामिल विषयों को रंगों के माध्यम से प्रस्तुत करने के साथ ही साथ मौलिक और लोक संस्कृति को उकेरने का कार्य कर रहे हैं. यह कार्यशाला विद्यार्थियों को भित्ति चित्रण की बारीकियों को समझने और सिखाने का एक अनोखा प्रयास है. किताब की दुनिया से प्रायोगिक दुनिया तक इस माध्यम से विद्यार्थियों को लाया जा रहा है. 
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव सुनील कुमार सेन ने भित्ति चित्रों की प्रगति को देखते हुए कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ विद्यार्थियों की कलात्मक रचनात्मकता को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि ललित कला संस्थान द्वारा आयोजित यह गतिविधि विद्यार्थियों के विकास में बहुत ही सहायक होता है. 
ऋतुरंग भित्तिचित्रण कार्यशाला की संयोजक एवं ललित कला संस्थान की सहायक आचार्य डॉ. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय के निर्देशन और मार्गदर्शन में इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को भित्ति चित्रण की बारीकियों को बताना है. उन्होंने बताया कि इस भित्ति चित्रण कार्यशाला में 40 से अधिक विद्यार्थी प्रतिभाग कर रहे हैं. इसके साथ ही साथ संस्थान से उत्तीर्ण विद्यार्थी भी कार्यशाला में सहयोग कर रहे हैं और अपनी संस्थान के प्रति जिम्मदारियों का निर्वहन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह बहुत ही सुखद होता है कि संस्थान के उत्तीर्ण विद्यार्थी आज भी विभाग में आकर विभाग के लिए उसी मनोयोग से काम करते हैं जैसा वह विद्यार्थी रहते हुए करते रहे हैं. 


डॉ. पाण्डेय ने बताया कि इस कार्यशाला के अंतर्गत संस्थान की दीवारों पर लोक कला, मूर्तिकला, पाश्चात्य कला, आधुनिक कला जैसे कला के विविध अंगों को प्रदर्शित किया जा रहा है. इससे विद्यार्थियों को देखकर ही सीखने को काफी कुछ मिल सकता है. 
कार्यशाला के सह निर्देशक एवं संस्थान के शिक्षक गजेन्द्र सिंह ने बताया कि इस संस्थान के विद्यार्थी रहते हुए कला की जिन बारीकियों को सीखा है, आज उन्हें नए विद्यार्थियों को बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशाला विद्यार्थियों को रंगों की समझ, आकृतियों का निर्माण एवं कला के बारे में विस्तृत जानकारी देने में सहायक होते हैं. कार्यशाला में हिस्सा ले रहे विद्यार्थियों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है. 

यह विद्यार्थी ले रहे हैं हिस्सा



इस भित्तिचित्रण कार्यशाला में नंदनी कुशवाहा, शिवांगी सोनी, अंजली राजपूत, अल्लादीन, निकेता, भास्कर, चंचल कुशवाहा, नगमा, अनिष्ता सिंह, शैल्वी कुमारी, ईशा जैन, शिखा पाल, कोमल, रोनक, संदीप पटेल, सत्यम सोलंकी, नीति गुप्ता, सपना श्रीवास, मेघना सचान, शुभम शर्मा, रचना वर्मा, साधना वर्मा, रश्मि कुशवाहा, अपूर्वा श्रीवास, शिव दयाल, राघव, यश महोर एवं अन्य विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं. 


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