TCN डेस्क।
दूसरों की सेवा से अपने दुखों का होता है निवारण: प्रो. मुन्ना तिवारी
सिफ्सा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय ने मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल के पीयर एजुकेटर्स के लिए आयोजित किया प्रशिक्षण कार्यक्रम
झाँसी. राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेंसी (सिफ्सा) बुन्देलखण्ड इकाई ने आज मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल के पीयर एजुकेटर्स के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन ललित कला संस्थान में किया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पीयर एजुकेटर्स को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के तरीके, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, मन कक्ष, राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर और मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित कानूनों के बारे में जानकारी दी गयी.
प्रशिक्षण शिविर की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष कला संकाय प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि हमें केवल अपने बारे में नहीं सोचना चाहिए. दूसरों की सेवा से हमारे दुखों का निवारण आसानी से हो सकता है. उन्होंने रामचरितमानस की चौपाई का उदहारण देते हुए कहा कि परहित सरस धर्म नहीं भाई. हमें दूसरों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए. प्रो. तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में समाज व्यक्तिवादी होता जा रहा है और केवल अपने बारे में ही सोचता है. इससे हमारी समस्या बढती जाती है. अगर हम अपने साथ समाज के बारे में, अपने परिवार, माता-पिता के बारे में सोचेंगे तो हमें कोई भी समस्या हरा नहीं सकती है.
मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक झाँसी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि समस्या हर समय रही है और हर समय रहेगी. कोई भी ऐसा समय नहीं आता है जब हमारी सारी समस्या ख़त्म हो जाती है. इससे बचने के केवल यही उपाय है कि हम समस्या को सामना करें और उससे आगे बढे. उन्होंने कहा कि पीयर एजुकेटर्स की यह जिम्मेदारी है कि समाज के लोगों से संपर्क करें उनसे बात करें और उनकी समस्या का समाधान करने का प्रयास करें. उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक रहना बहुत जरुरी है. केवल सकारात्मक रहते हुए ही हम अपनी समस्या पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.
सिफ्सा नोडल अधिकारी एवं कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि सिफ्सा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय विगत वर्ष से मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में पीयर एजुकेटर्स को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के तरीके, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, मन कक्ष, राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर और मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित कानूनों के बारे में जानकारी दी गयी. अब यह पीयर एजुकेटर्स समाज, विश्वविद्यालय एवं जहाँ भी रहेंगे अपने दायित्वों का निर्वहन करें. उन्होंने कहा कि पीयर एजुकेटर्स केवल व्यक्ति की पहचान करे उसके बाद उन्हें जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, मन कक्ष या टोल फ्री नंबर के द्वारा उनकी काउन्सलिंग करवाने का प्रयास किया जाएगा.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ललित कला संस्थान के शिक्षक गजेन्द्र सिंह, पत्रकारिता संस्थान के शोधार्थी शाश्वत सिंह, पीयर एजुकेटर्स रौनक सिरोठिया, नगमा, कोमल, अलादीन, राघव एवं अन्य उपस्थित रहे.
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